• डिजिटल मोबाइल क्लासरूम - स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता और डिजिटल साक्षरता पर प्रशिक्षण

    पृष्ठभूमि

    २०११ की जनगणना के अनुसार, भारत में १० से १९ वर्ष की आयु के लगभग २५.३ करोड़ किशोर और किशोरियां हैं, जिनमें से लगभग ५०% किशोरियां हैं। किशोरियां कई स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति अपरिचित एवं असम्वेदनशील होती हैं, क्योंकि उन्हें यौन और स्वास्थ्य शिक्षा नहीं दी जाती| इसलिए, अधिकतर वे सूचित निर्णय लेने में असमर्थ होती हैं। इससे प्रजनन पथ के संक्रमण, एनीमिया, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, एवं गर्भनिरोधक ना इस्तेमाल करने के कारण यौन संचारित संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य मुद्दों में वृद्धि हुई है। कुछ कठोर तथ्य और आंकड़े हैं, जो हमें चिंतित करते हैं:

    • नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे (एन ऍफ़ एच एस-, २०१५-१६) के अनुसार, १५-२४ वर्ष के बीच की केवल ५८% महिलाएं ही मासिक धर्म की सुरक्षा के स्वच्छ तरीको का उपयोग करती हैं।
    • यु वर्ग (१५-२४ वर्ष) की महिलाओं में, ४२% सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं, ६२% कपड़े का उपयोग करती हैं, और १६% स्थानीय रूप से तैयार नैपकिन का उपयोग करती हैं।
    • ७८% शहरी महिलाओं की तुलना में केवल ४८% ग्रामीण महिलाएं मासिक धर्म की सुरक्षा के स्वच्छ तरीको का उपयोग करती हैं। (एन एफ एच एस-)
    • लड़कियां अक्सर जानकारी और सहायता के लिए अपनी माताओं पर निर्भर होती है लेकिन ७०% माताएं मासिक धर्म को "गंदा" मानती हैं, जो की अन्धविश्वास को और बढ़ावा देता है।

    एक फ्रंटलाइन कार्यकर्ता होने के नाते, समुदाय को सही सूचना देना और बेहतर स्वास्थ्य परिणाम सुनिश्चित करना आपकी अहम् भूमिका है। आप मासिक धर्म और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में किशोरियों को स्वास्थ्य शिक्षा का प्रसार करने के लिए शुरुआती बिंदु हैं। आपका समर्थन किशोरियों को सूचित निर्णय लेने में मदद करने में महत्वपूर्ण है, जिससे न केवल प्रबंधन बल्कि स्वास्थ्य समस्याओं की रोकथाम भी संभव हो जाती है।

    परियोजना के बारे में

    एन.एफ.एच.एस- के अनुसार, हापुड़ में १५-२४ वर्ष की आयु की लगभग ८८. प्रतिशत महिलाएं अपने मासिक धर्म के दौरान सुरक्षा के स्वच्छ तरीकों का उपयोग करती हैं, लेकिन फिर भी लड़कियों और फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के बीच अभी भी कुछ जानकारी का अंतर मौज़ूद दिखाई देता हैइस प्रकार, एम्पॉवरिंग मिलियंस फाउंडेशन (एम्पॉवर स्कूल ऑफ़ हेल्थ की एक शाखा) ने अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के साथ ‘नंद घर’ पहल के माध्यम से जिला हापुड़, उत्तर प्रदेश (आई एस आर एन, एक सहयोगी एन जी ओ द्वारा समर्थित) में फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को सक्षम बनाने के लिए भागीदारी की है। यह मोबाइल कक्षा के माध्यम से, दो विषयो पर आयोजित किया जाएगा:

    • ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों और महिलाओं के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देना
    • डिजिटल लर्निंग से जुडी मूल बातें

    ओपन मोबाइल क्लासरूम मॉडल स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं की दक्षताओं के सीमित विकास, प्रशिक्षण के अवसरों और शैक्षिक संसाधनों तक पहुंच की समस्या का समाधान करना चाहता है। यह समाधान उन क्षेत्रों के लिए साध्य है जहां कम बैंडविड्थ या खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी है क्योंकि इस परियोजना के लिए ज़रूरी इंटरनेट समर्थन की आवश्यकता नहीं होगी और लक्षित लाभार्थियों को इसके माध्यम से ज्ञान वितरण संभवतः किया जा सकता है।

    लक्षित लाभार्थी

    • अक्क्रेडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट (आशा)
    • ऑक्सिलिआरी नर्स मिडवाइफ ( एन एम)
    • आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ( डब्लू डब्लू)

    िश्रित प्रशिक्षण (ब्लेंडेड ट्रेनिंग) कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं

    • लघु अवधि की ट्रेनिंग जिससे प्रतिभागी को ज्ञान धारण करने में सरलता हो (लगभग दो घंटे)
    • पूर्ण रूप से फ्रंटलाइन कार्यकर्ता की ज़रूरतों के आकलन के आधार पर अनुकूलित ट्रेनिंग
    • बेहतर जुड़ाव के लिए हिंदी में ट्रेनिंग की उपलब्धता
    • फील्ड में उपलब्ध एम्पॉवर टीम द्वारा डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने में सहायता
    • पाठ्यक्रम में नि:शुल्क प्रवेश जिसे आवश्यकता पड़ने पर कभी भी कही भी उपयोग किया जा सकता है
    • कोर्स पूरा होने पर प्रमाण पत्र

    पेक्षित परिणाम

    ट्रेनिंग सेशन के अंत तक, प्रतिभागी निम्न विषयो में सक्षम होंगे:

    • अन्य कर्मचारियों और समुदाय के सदस्यों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता और यौन प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों (एस आर एच आर) के बारे में जागरूकता प्रदान करने में,
    • हार्डवेयर और डिजिटल लर्निंग की अवधारणाओं से, एवं
    • ट्रेनिंग से मिले प्रमुख ज्ञान को लागू करने के लिए एक व्यक्तिगत कार्य योजना बनाने में